
(रिपोर्ट: श्रवण कुमार ओड़, जालोर न्यूज़)
राजस्थान के जालोर जिले में चल रहे स्वामी अभयदास महाराज के कथा कार्यक्रम को लेकर शुरू हुआ विवाद अब एक राजनीतिक और धार्मिक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।
सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वायरल हो रहा है, जिसमें “जालोर चलो” का आह्वान किया गया है। इस पोस्टर में 28 जुलाई 2025 को प्रातः 9 बजे जालोर मुख्यालय पर एक शक्ति प्रदर्शन की अपील की गई है।

स्वामी अभयदास महाराज जालोर कथा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। अब इस प्रकरण में एक और नया मोड़ सामने आया है। सोशल मीडिया पर “जालौर चलो” शीर्षक से एक पोस्टर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा है:
> “सनातन का अपमान नहीं सहेगा राजस्थान”
दिनांक : 28 जुलाई 2025, सोमवार
स्थान : जालौर मुख्यालय
समय : प्रातः 9.00 बजे
इस पोस्टर के वायरल होने के बाद प्रशासन में हलचल मच गई है। जानकारी के अनुसार, सोमवार 28 जुलाई को जालोर में एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित हो सकता है, जिसमें स्वामी अभयदास महाराज स्वयं बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ पहुंच सकते हैं।
अगर ऐसा होता है तो यह जिला मुख्यालय पर बड़ा धार्मिक व सामाजिक आक्रोश बन सकता है, जो कानून-व्यवस्था के लिहाज से प्रशासन के लिए मुश्किल भरी चुनौती बन सकता है।
“सनातन का अपमान नहीं सहेगा राजस्थान” – इस नारे के साथ यह आंदोलन अब राज्य भर में चर्चा का विषय बन चुका है।
सूत्रों का दावा है कि हजारों समर्थक इस प्रदर्शन में शामिल होंगे और स्वयं स्वामी अभयदास महाराज की उपस्थिति भी संभव है। इससे पहले ही जिला प्रशासन और पुलिस अलर्ट पर हैं।
भाजपा ने साधु समिति से कराई जांच की शुरुआत
जालोर में चल रहे अभयदास महाराज विवाद की गूंज अब भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गई है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। यह समिति आगामी तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट तैयार कर प्रदेशाध्यक्ष को सौंपेगी।
इस समिति में तिजारा विधायक और साधु संतों में लोकप्रिय चेहरा महंत बाबा बालकनाथ, पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी महाराज और सीकर से पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को शामिल किया गया है।
प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने स्पष्ट किया है कि रिपोर्ट आने के बाद पार्टी द्वारा सरकार को इस विवाद से जुड़े उचित सुझाव भेजे जाएंगे।
क्यों बनी जांच समिति?
अभयदास महाराज हाल ही में जालोर में भागवत कथा का आयोजन कर रहे थे। कथा के दौरान उन्होंने बायोसा माता मंदिर जाने की घोषणा की थी, जिसके बाद प्रशासन और उनके बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। मामला बढ़ता गया और पुलिस व समर्थकों के बीच झड़प तक पहुंच गया।
अब यह समिति यह जांच करेगी कि:
कथा स्थल पर तनाव क्यों उत्पन्न हुआ?
प्रशासनिक निर्णय के पीछे की परिस्थितियां क्या थीं?
धार्मिक आयोजन में बाधा के पीछे कौन जिम्मेदार था?
सूत्रों का बड़ा खुलासा:
सूत्रों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति या टीम एफिडेविट पर लिखित में यह जिम्मेदारी ले कि आयोजन में कोई बाधा नहीं होगी और शांति व्यवस्था बनी रहेगी, तो प्रशासन कथा वाचन की अनुमति देने को तैयार है।
भाजपा द्वारा इस संवेदनशील मुद्दे पर साधु-संतों की समिति बनाना यह दर्शाता है कि पार्टी धार्मिक भावनाओं को लेकर सतर्क है और विवाद को गंभीरता से ले रही है।

- महंत बाबा बालकनाथ (विधायक, तिजारा)
- महंत प्रतापपुरी महाराज (विधायक, पोकरण)
- स्वामी सुमेधानंद सरस्वती (पूर्व सांसद, सीकर)
भाजपा का यह कदम राज्य में संत समुदाय और जनभावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है। पार्टी चाहती है कि विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकले, लेकिन साथ ही ये भी सुनिश्चित हो कि कानून व्यवस्था पर असर न पड़े।
विवाद की असली वजह क्या है?
स्वामी अभयदास महाराज इन दिनों जालोर में भागवत कथा कर रहे थे। कथा के बीच उन्होंने बायोसा माता मंदिर जाने की घोषणा की, जिससे प्रशासन चौकन्ना हो गया।
इस घोषणा के बाद प्रशासन और समर्थकों के बीच विवाद गहराने लगा। मामला इतना बढ़ा कि झड़प तक की नौबत आ गई। पुलिस और समर्थकों में कहासुनी के साथ तनाव फैल गया, और अब मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ गया है।
28 जुलाई पर प्रशासन हाई अलर्ट पर, इंटरनेट बंदी तक की संभावना
28 जुलाई 2025, सोमवार को प्रस्तावित प्रदर्शन को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस अलर्ट मोड पर हैं।
संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल, बैरिकेडिंग, ड्रोन से निगरानी, और धारा 144 लागू करने जैसे उपायों पर काम किया जा रहा है।
यदि भीड़ नियंत्रण से बाहर जाती है तो इंटरनेट सेवाएं बंद करने का भी निर्णय लिया जा सकता है। इससे पहले भी राजस्थान में कई बार ऐसे धार्मिक आंदोलनों के दौरान इंटरनेट रोका गया है।
रणछोड़नाथजी महाराज ने बदला बयान, बढ़ी भ्रम की स्थिति
इस पूरे विवाद में एक नया मोड़ तब आया जब रणछोड़नाथजी महाराज ने अपना पहला बयान बदल दिया।
इस बदलाव से समर्थकों और प्रशासन दोनों में भ्रम की स्थिति और बढ़ गई है। चर्चा है कि यह बयान बदला गया है किसी दबाव में या फिर संतुलन साधने की कोशिश में।
वहीं इस पूरे विवाद में अब एक नया मोड़ तब आया, जब रणछोड़नाथजी महाराज ने अपना पुराना बयान बदल दिया है। उनके इस बयान परिवर्तन को लेकर समर्थकों में कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि इससे मामले की संवेदनशीलता और भी बढ़ सकती है।
सूत्रों का दावा: अनुमति की संभावना भी खुली
कई सूत्रों की मानें तो यदि कथा आयोजन की जिम्मेदारी कोई व्यक्ति या संस्था एफिडेविट देकर लेती है और शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने का वचन देती है, तो प्रशासन कथा की अनुमति देने को तैयार हो सकता है।
यानी यह मामला अभी पूरी तरह बंद नहीं हुआ है, बातचीत और सहमति की संभावना बरकरार है।
अब सबकी निगाहें 28 जुलाई पर — क्या होगा निर्णायक दिन?
राजस्थान का जालोर अब एक धार्मिक-राजनीतिक गतिविधि का केंद्र बन गया है। हर किसी की नजरें अब 28 जुलाई पर टिकी हैं।
- क्या स्वामी अभयदास महाराज खुद प्रदर्शन में आएंगे?
- क्या प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा?
- क्या भाजपा की साधु समिति विवाद का हल निकाल पाएगी?
- क्या प्रशासन स्थिति को नियंत्रित रख पाएगा?
राज्यभर में माहौल संवेदनशील है और सभी पक्षों को जिम्मेदारी से निर्णय लेने की जरूरत है। आने वाले दिन इस मामले के भविष्य को तय करेंगे।

कथा के दौरान बायोसा मंदिर जाने की घोषणा बनी विवाद की वजह
गौरतलब है कि स्वामी अभयदास महाराज जालोर में भागवत कथा कर रहे थे। कथा के दौरान उन्होंने बायोसा माता मंदिर जाने की घोषणा की, जिसके बाद प्रशासन और उनके बीच तनाव पैदा हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि पुलिस व समर्थकों के बीच झड़प तक हो गई।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।