परमार वंश की क्षत्राणियों का पैदल संघ आकोली से कुलेटी माता धाम रवाना, भक्ति और वीरता की अनोखी मिसाल

By Shravan Kumar Oad

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Group of Rajput women from Parmar clan walking in a devotional procession towards Kuleti Mata Dham with DJ and traditional chants

आकोली।
आकोली गांव से इस साल भी एक अद्भुत नजारा देखने को मिला, जब परमार वंश की क्षत्राणियों का पैदल संघ मंगलवार देर रात कुलेटी माता धाम, आजबर के लिए रवाना हुआ। यह यात्रा केवल आस्था का प्रतीक नहीं रही, बल्कि क्षत्राणियों की वीरता और परंपरा की गवाही भी बनी।

डीजे और गगनभेदी नारों के बीच रवाना हुआ संघ

मीडिया प्रभारी पूरणसिंह काबावत ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी दोनों रावलो से 35 क्षत्राणियों और 10 युवाओं का दल शामिल हुआ। रात 10:30 बजे यात्रा की शुरुआत गगनभेदी नारों और डीजे की धूम के साथ हुई।

संघ के साथ एक टेम्पो, जिसमें भक्ति गीत बज रहे थे, और एक ट्रैक्टर भी था ताकि कोई थक जाए तो बैठ सके। हालांकि, खास बात यह रही कि किसी ने हार नहीं मानी और सभी पैदल ही पहुंचे।

रातभर चली यात्रा, सुबह पहुंचा धाम

  • रात 3 बजे संघ रामसीन पहुंचा, जहां चाय-पानी का अल्प विश्राम किया गया।
  • सुबह 6 बजे यात्री कुलेटी माता के प्रथम द्वार पर पहुंचे।
  • अंत में सुबह 7 बजे संघ कुलेटी माता धाम, आजबर पहुंचा। यहां स्नान-ध्यान के बाद माताजी के दरबार में हाजरी दी गई, प्रसाद का भोग लगाया और सभी ने खुशहाली की कामना की।

क्षत्राणियों का इतिहास: वीरता और बलिदान की गाथा

संघ की सदस्य किस्मत कंवर काबावत ने बताया कि क्षत्राणियों का इतिहास त्याग और शौर्य से भरा हुआ है।
उन्होंने कहा –
“साधारण दिनों में पर्दे में रहने वाली क्षत्राणियां जब-जब वक्त आया, रणभूमि में उतरी हैं। अपने पतियों को तिलक लगाकर रणभूमि में विदा किया और जरूरत पड़ने पर खुद तलवार उठाई।”

उन्होंने हाड़ी रानी की गाथा भी सुनाई, जब राजा रतनसिंह युद्ध में मनोबल बनाए रखने के लिए पत्नी की निशानी चाहते थे। हाड़ी रानी ने अपना सिर काटकर थाल में भेजा, जिससे राजा का जोश दोगुना हो गया और उन्होंने रणभूमि में विजय पाई।

इतिहास से गायब होती वीरांगनाएं

क्षत्राणियों ने अफसोस जताया कि आज के समय में स्कूल की किताबों में आक्रांताओं को महान बताया जाता है, जबकि वीरांगनाओं और क्षत्रिय राजाओं का इतिहास गौण कर दिया जाता है।
उन्होंने मांग की कि –

  • सम्राट विक्रमादित्य, राजा भोज, राणा सांगा, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, पन्नाधाय, पद्मिनी और हाड़ी रानी जैसे महानायक-नायिकाओं की गाथाएं स्कूल की पाठ्य पुस्तकों में शामिल की जाएं।
  • इससे युवा पीढ़ी इन वीरों के आदर्शों से प्रेरणा लेकर राष्ट्रप्रेम और साहस की भावना विकसित करेगी।

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