9 अगस्त को आदिवासी दिवस की जोरदार तैयारी, शिवगंज में निकलेगी भव्य रैली

By Shravan Kumar Oad

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Adivasi Diwas 2025 rally in Shivganj highlighting tribal unity, culture, and environmental protection

शहीद बाबूलाल मीणा की प्रतिमा से होगी शुरुआत, महाराजा मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम और पर्यावरण संरक्षण पर होगा फोकस

शिवगंज/सिरोही/पाली/जालोर।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 9 अगस्त को आदिवासी दिवस बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसको लेकर क्रांति सर्कल बगीचे में आदिवासी मीणा समाज की एक महत्त्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें सामूहिक निर्णय लेते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई।

शहीद बाबूलाल मीणा की प्रतिमा से निकलेगी रैली

बैठक में निर्णय लिया गया कि 9 अगस्त सुबह 9:00 बजे आदिवासी गौरव शहीद बाबूलाल मीणा जी की प्रतिमा स्थल से एक विशाल रैली प्रारंभ की जाएगी, जो शिवगंज के मुख्य मार्गों से होते हुए सुमेरपुर तक जाएगी और फिर वापस आकर शिवगंज महाराजा मैदान में एक जनसभा और सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में परिणत होगी।

इस रैली का उद्देश्य आदिवासी एकता, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देना है।

पर्यावरण और संस्कृति को लेकर विशेष संदेश

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि आदिवासी समाज की परंपरा सदियों से प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की रही है। आदिवासी रीति-रिवाज और जीवनशैली प्रकृति के साथ संतुलन में जीने की मिसाल रही है।

इस मौके पर यह भी प्रस्तावित किया गया कि आने वाली नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज और मूल्यों से अवगत कराया जाए, ताकि वे भी आने वाले समय में अपनी पहचान और जिम्मेदारी को समझें

कुरीतियों और नशा मुक्त समाज पर भी हुई चर्चा

बैठक में छगनलाल मीणा (पिंडवाड़ा) की उपस्थिति में समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने, नशा मुक्त समाज बनाने, और सामूहिक चेतना को जगाने पर विशेष ज़ोर दिया गया।

वक्ताओं ने कहा कि यदि समाज को आगे बढ़ाना है, तो एकजुटता, अनुशासन और शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।

बैठक में उपस्थित रहे समाज के प्रतिनिधि

इस बैठक में सिरोही, पाली और जालोर जिलों से बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे। प्रमुख उपस्थिति में शामिल रहे:

  • गणेश मीणा – छावनी
  • राजू मीणा – छावनी
  • किशन मीणा, नरेश मीणा, चंपालाल मीणा, इंद्रकुमार मीणा, मुकेश मीणा – केसरपुरा
  • मंसराम मीणा – छावनी
  • साथ ही आसपास के क्षेत्रों के गणमान्य सदस्य और युवा भी इस बैठक का हिस्सा बने।

निष्कर्ष:

9 अगस्त का आदिवासी दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने का प्रतीक है। यह आयोजन समाज में एकता, जागरूकता, पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति के संरक्षण के संदेश को मजबूती देगा। समाज के वरिष्ठों से लेकर युवाओं तक, सभी ने इसे सफल बनाने का संकल्प लिया है।

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