
बागोड़ा (जालोर)।
सावन के पहले सोमवार पर भालनी मठ में शिवभक्ति और ऐतिहासिक महत्व का अद्भुत संगम देखने को मिला। क्षेत्र के श्रद्धालुओं और ग्रामीणों ने इस पावन अवसर पर चमत्कारी शिवलिंग और मठ से जुड़ी आध्यात्मिक कथाओं का जीवंत अनुभव किया।
शिव की आराधना और आस्था का केंद्र
भालनी मठ, जो जालोर जिले के बागोड़ा क्षेत्र में स्थित है, सावन के इस खास दिन पर संपूर्ण श्रद्धा और भक्ति के रंग में रंग गया। मान्यता है कि यहां सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव विशेष कृपा करते हैं। मठ परिसर में दिनभर रुद्राभिषेक, शिव चालीसा, और भजनों की ध्वनि गूंजती रही।
इतिहास और चमत्कारों की धरती
भालनी मठ का इतिहास कई सदियों पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि यहां स्थित शिवलिंग स्वयंभू है, अर्थात यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से प्रकट हुआ था। मठ से जुड़ी अनेक कथाएं समाज में वर्षों से प्रचलित हैं, जिनमें आध्यात्मिक अनुभव, स्वप्न दर्शन और मनोकामना पूर्ण होने की घटनाएं सम्मिलित हैं।
श्रावण सोमवार का आयोजन
- रुद्राभिषेक और पूजा: स्थानीय पुजारियों ने विधिपूर्वक पूजा कर शिवलिंग का अभिषेक किया।
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ: शिव चालीसा, भजन, और लोक गीतों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
- इतिहास पर संवाद: भालनी मठ के स्थापत्य, धार्मिक महत्व और समाज में इसकी भूमिका पर स्थानीय वक्ताओं ने प्रकाश डाला।
- सामाजिक संदेश: पर्यावरण रक्षा, नशा मुक्ति और गांव की एकता जैसे विषयों पर भी जागरूकता फैलाई गई।
श्रद्धालुओं की आस्था और अनुभूति
एक श्रद्धालु ने बताया,
“हर साल सावन सोमवार को यहां आने से आत्मा को सच्ची शांति मिलती है। यह स्थान केवल पूजा का केंद्र नहीं, बल्कि शक्ति और विश्वास का प्रतीक है।”
वहीं एक युवा भक्त ने कहा कि भालनी मठ की कथा सुनकर अपनी संस्कृति से जुड़ाव और गौरव की अनुभूति होती है।
निष्कर्ष
भालनी मठ का श्रावण सोमवार आयोजन केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि समाज में धर्म, इतिहास, और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने वाला महत्त्वपूर्ण पर्व बन गया है। इस आयोजन ने आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ने का अवसर प्रदान किया।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।