
जयपुर | 19 जुलाई 2025
राजस्थान की एक महिला साध्वी Prem Baisa इन दिनों एक viral video controversy को लेकर सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे इस मामले में उन्होंने खुलकर सामने आते हुए इसे Sanatan Sanskriti पर हमला बताया है। साथ ही, अपनी innocence साबित करने के लिए Agni Pariksha तक देने की बात कही है।
क्या है पूरा मामला?
साध्वी प्रेम बाइसा ने एक वीडियो वायरल होने के बाद बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि –
“यह वीडियो कोई अभी का नहीं, बल्कि चार साल पुराना है। इसे गलत इरादों से एडिट करके सोशल मीडिया पर फैलाया गया है।”
उनका दावा है कि यह वीडियो उनके पिता के साथ निजी मुलाकात का था, जिसे छिपकर रिकॉर्ड किया गया और फिर उसमें छेड़छाड़ करके obscene clip का रूप दिया गया।
पहले भी हुई थी FIR – अब नया मोड़
साध्वी ने बताया कि साल 2022 में ही उन्होंने Boranada Police Station (Jodhpur) में FIR दर्ज करवाई थी। आरोप है कि कुछ लोग ₹20 लाख की डिमांड कर रहे थे और वीडियो को सार्वजनिक करने की धमकी दे रहे थे।
हालांकि पुलिस का कहना है कि उस समय वीडियो वायरल नहीं हुआ था। अब दोबारा मामला सामने आने पर नई FIR दर्ज की गई है और 3 आरोपियों की पहचान हुई है।
Agni Pariksha की पेशकश
सबसे चौंकाने वाला हिस्सा यह है कि साध्वी ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए Agni Pariksha देने की बात कही है। उन्होंने धर्मगुरुओं से आग्रह किया है कि वे तारीख और स्थान तय करें ताकि वह सार्वजनिक रूप से अपनी pavitrata साबित कर सकें।
“मैं तैयार हूं अग्नि परीक्षा देने के लिए, ताकि सच सबके सामने आए और Sanatan संस्कृति को बदनाम करने वालों को जवाब मिल सके।” – Sadhvi Prem Baisa
क्यों है यह मामला ट्रेंड में?
- सोशल मीडिया पर #SadhviPremBaisa और #AgniPariksha ट्रेंड कर रहे हैं
- Sanatan defenders इस मामले को धर्म और संस्कृति से जोड़ रहे हैं
- कई लोगों का मानना है कि यह मामला privacy invasion और digital blackmailing से जुड़ा है
- कुछ इसे media morality vs personal dignity का मुद्दा भी बता रहे हैं
क्या कहती है पुलिस?
बोरानाडा थाने के अधिकारियों के अनुसार –
- एक नया केस दर्ज किया गया है
- पुराने केस में जिन पर आरोप था, वे जमानत पर बाहर हैं
- अब तकनीकी जांच से वीडियो की source authenticity चेक की जा रही है
निष्पक्ष विश्लेषण (Neutral Viewpoint)
पॉइंट | विश्लेषण |
---|---|
🔹 व्यक्तिगत अधिकार | वीडियो की रिकॉर्डिंग और वायरल होना privacy violation का गंभीर मामला है |
🔹 धार्मिक एंगल | Sanatan की रक्षा की भावना लोगों को भावुक कर रही है, पर मामले की जड़ वीडियो की सच्चाई है |
🔹 न्यायिक प्रक्रिया | यदि आरोप सही हैं, तो cyber crime व extortion की धाराओं में कड़ी कार्रवाई हो सकती है |
🔹 सोशल मीडिया ट्रायल | बिना पुष्टि के character assassination आज के समय का सबसे बड़ा खतरा बन गया है |
निष्कर्ष (Conclusion)
साध्वी प्रेम बाइसा के समर्थन में कहा जा सकता है कि आज के डिजिटल युग में किसी के निजी पलों को एडिट कर, गलत संदर्भ में प्रस्तुत करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। एक महिला संत, जो वर्षों से Sanatan संस्कृति की सेवा में लगी हैं, उनके चरित्र पर बिना प्रमाण के आरोप लगाना न केवल व्यक्तिगत अधिकारों का हनन है, बल्कि पूरे धार्मिक तानेबाने पर आघात है। उन्होंने खुलकर सामने आकर न सिर्फ सच की मांग की है, बल्कि Agni Pariksha जैसी साहसी पेशकश भी की है – जो उनके आत्मबल और सच्चाई पर विश्वास को दर्शाता है।
साध्वी प्रेम बाइसा का यह मामला केवल एक viral video controversy नहीं है, बल्कि इसमें digital privacy, religious sentiment, और media trial जैसे कई गहरे पक्ष छिपे हैं। जब तक पुलिस जांच पूरी नहीं होती, तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।
सभी पक्षों को सुनना और तथ्य आधारित रिपोर्टिंग ही आज के डिजिटल युग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।