
जालोर, 28 जुलाई 2025
जालोर में सोमवार को एक बड़ा धार्मिक और प्रशासनिक टकराव सामने आया, जब पाली के तखतगढ़ धाम के संत कथावाचक अभयदास महाराज प्रशासनिक पाबंदियों को धता बताते हुए शहर में प्रवेश कर गए। तमाम नाकाबंदी, पुलिस तैनाती और प्रशासनिक चेतावनियों के बावजूद, महाराज ने सोमवार शाम 4:30 बजे फेसबुक लाइव कर अपनी मौजूदगी की पुष्टि कर दी।
साधु पर नज़र या डर? पुलिस घेरे में भी पहुंचे जालोर
अभयदास महाराज ने जालोर प्रशासन — विशेषकर कलेक्टर डॉ. प्रदीप के. गवांडे और एसपी ज्ञानचंद्र यादव — पर धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे 8 अगस्त तक चातुर्मास का संकल्प निभाएंगे, चाहे प्रशासन कुछ भी करे।
अभयदास महाराज के बयान की 7 बड़ी बातें
1. चातुर्मास का संकल्प पूर्ण करूंगा — जालोर प्रशासन ने पूरा शहर घेर लिया, लेकिन मैं जालोर में हूं और 8 अगस्त तक भक्त के घर रहकर चातुर्मास का संकल्प निभाऊंगा।
2. क्या मैं आतंकवादी हूं? — डिप्टी एसपी व सीआई ने कहा था कि मुझे किसी भक्त के घर नहीं जाने दिया जाएगा। जालोर को आरएसी-CRPF से घेर लिया गया है, क्या मैं कोई अपराधी हूं?
3. पुलिस हर कोने पर तैनात — सड़कों पर जनता से ज्यादा पुलिस है। यह अधर्म है। प्रशासन धर्म विरोधी रवैया अपना रहा है।
4. राजनीति के आरोपों को नकारा — मैं न सांसद बनना चाहता हूं, न कोई राजनीतिक पद चाहता हूं। मैं 25 साल से “मेंबर ऑफ परमात्मा” हूं।
5. जांच समिति में साधुओं का होना सराहनीय — प्रतापपुरी, महंत बालकनाथ और सुमेधानंद सरस्वती की जांच समिति स्वागत योग्य है।
6. घूमकर छिपते हुए पहुंचे जालोर — सीधे आ सकता था, लेकिन नहीं चाहता था कि पुलिस मेरे साथ धक्का-मुक्की करे और महिलाएं घायल हों।
7. प्रशासन ने मेरे 10 दिन खराब किए — साधु के 10 दिन की कीमत नहीं समझते। इतिहास में साधुओं के श्राप कितने प्रभावशाली रहे हैं, यह ज्ञात होना चाहिए।


फेसबुक लाइव में उठाए 7 बड़े सवाल
- “मैं आतंकवादी हूं क्या?”
- शहर छावनी बना दिया गया, क्या संतों को अपराधी माना जा रहा है?
- “चातुर्मास से कैसे रोक सकते हैं?”
- एक भक्त के घर रहकर धार्मिक नियमों का पालन कर रहा हूं।
- “पुलिस-प्रशासन धर्मविरोधी!”
- हर कोने पर तैनात पुलिस, जनता से ज़्यादा फोर्स!
- “राजनीति से मेरा कोई लेना-देना नहीं!”
- मैं 25 वर्षों से “Member of परमात्मा” हूं।
- “जांच समिति का स्वागत करता हूं”
- महंत बालकनाथ और अन्य संतों की समिति स्वागत योग्य।
- “छिपते-घूमते पहुंचा ताकि टकराव न हो”
- सीधा आ सकता था लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐसा नहीं किया।
- “प्रशासन ने 10 दिन खराब किए”
- साधु के समय का मूल्य समझना होगा, इतिहास गवाह है कि साधुओं के श्राप भी भारी पड़े हैं।
किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ने दिया साथ, प्रशासन को दी चेतावनी

इस पूरे विवाद में नया मोड़ तब आया जब मेवाड़ किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ईश्वरीनंद गिरी खुद जालोर पहुंच गईं। उन्होंने जागनाथ महादेव मंदिर पहुंचकर कहा, “जब तक अभयदास महाराज का चातुर्मास पूरा नहीं होता, मैं जालोर नहीं छोड़ूंगी।”
महामंडलेश्वर ने कलेक्टर व एसपी से बातचीत के बाद मंगलवार दोपहर 12 बजे तक कथा की अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि “अगर छल-कपट किया गया तो पूरे भारत से महिला-पुरुष समर्थकों को जालोर बुला लूंगी।”
उन्होंने कहा कि “भले ही मुझे जेल जाना पड़े, लेकिन जिन 200 महिलाओं पर केस दर्ज किया गया है, उन्हें छुड़ाकर ही जाऊंगी।” साथ ही उन्होंने संत अभयदास को भी संयम बरतने और विवादित बयानों से बचने की सलाह दी।
“जब तक चातुर्मास पूरा नहीं होगा, मैं जालोर नहीं छोड़ूंगी। यही सनातन धर्म है।”
महामंडलेश्वर ने दी चेतावनी:
- “यदि प्रशासन ने छल किया तो भारतभर के समर्थकों को जालोर में एकत्र कर दूंगी।”
- “200 महिलाओं पर हुई एफआईआर को लेकर जेल जाकर छुड़वाने तक तैयार हूं।”
- “अभयदास महाराज को भी संयम दिखाना होगा, विवादित बयान न दें।”
प्रशासन चुप, शहर में तनाव बरकरार
वर्तमान में महाराज कालका कॉलोनी स्थित जागनाथ मंदिर के पास एक भक्त के घर में ठहरे हुए हैं।
प्रशासन की तरफ से कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है, लेकिन तनावपूर्ण स्थिति और पुलिस तैनाती से अंदेशा लगाया जा रहा है कि स्थिति अभी और उग्र हो सकती है।
डीएसपी और सीआई पर साधा निशाना
महाराज ने कहा कि दो दिन पहले लेटा में महंत रणछोड़ भारती महाराज के पास डीएसपी और सीआई ने बैठकर कहा कि उन्हें जालोर में किसी के घर नहीं जाने दिया जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि, “आपने किस अधिकार से मुझे ऐसा कहने की जुर्रत की? कोई भी संत ऐसा अन्याय सहन नहीं करेगा।”
प्रशासन पर गंभीर आरोप
अभयदास महाराज ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्होंने संतों को उनके खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। लेटा महंत के बदले वीडियो को लेकर उन्होंने कहा, “पहले मुझे कथा का निमंत्रण दिया गया, फिर प्रशासन के दबाव में दूसरा वीडियो जारी करवाया गया।”
प्रशासन पर खुला हमला
अभयदास महाराज ने यह भी कहा कि दो दिन पहले लेटा धाम के महंत रणछोड़ भारती महाराज के सामने डीएसपी और सीआई ने कहा था कि “आपको जालोर में किसी घर नहीं जाने देंगे।” उन्होंने पूछा — “आप किस अधिकार से यह बोल सकते हैं? क्या संतों को अब घर में रुकने की भी इजाजत नहीं?”
उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि:
महाराज ने दावा किया कि प्रशासन ने रणछोड़ भारती महंत पर दबाव बनाकर उनके पिछले बयान को बदलवाया और दूसरा वीडियो जारी करवाया। उन्होंने कहा कि अफवाह फैलाई जा रही है कि वे राजनीति के लिए यह सब कर रहे हैं, जबकि वे सनातन धर्म के प्रचारक हैं, कोई नेता नहीं।
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किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर का समर्थन, चेतावनी भी
इस घटनाक्रम में एक बड़ा मोड़ तब आया जब किन्नर अखाड़ा (मेवाड़) की महामंडलेश्वर ईश्वरीनंद गिरी जालोर पहुंचीं और उन्होंने अभयदास महाराज को पूर्ण समर्थन दिया। उन्होंने कहा:
> “जब तक अभयदास महाराज का चातुर्मास पूरा नहीं होता, मैं जालोर नहीं छोड़ूंगी। यही सनातन धर्म है।”
अगर किसी ने छल-कपट किया या झूठ बोला तो पूरे भारत के महिला-पुरुष समर्थकों को जालोर में जुटा दूंगी।
पुलिस ने प्रदर्शन करने वाली 200 महिलाओं पर अज्ञात एफआईआर दर्ज की है, अगर जरूरत पड़ी तो मैं जेल जाकर उन्हें छुड़वाऊंगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अब अभयदास महाराज को भी थोड़ा संयम दिखाना होगा और विवादित बयान देने से बचना होगा।
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वर्तमान स्थिति
अभयदास महाराज कालका कॉलोनी स्थित जागनाथ मंदिर के पास एक भक्त के घर में ठहरे हुए हैं। वे स्पष्ट कर चुके हैं कि अब जालोर से नहीं जाएंगे और यहीं रहकर धार्मिक संकल्प पूर्ण करेंगे।
वहीं प्रशासन ने अभी तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन हालात को देखते हुए तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
निष्कर्ष
अभयदास महाराज ने खुद को राजनीति से दूर बताते हुए कहा, “राजनीति करने का कोई शौक नहीं, नेता तो 5-10 साल के होते हैं। मैं तो आजीवन ‘परमात्मा का मेंबर’ हूं।”
जालोर में साधु-संतों, प्रशासन और आम जनता के बीच यह मामला अब और भी तूल पकड़ता जा रहा है। प्रशासन की अगली रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हैं।
अभयदास महाराज का जालोर पहुंचना और उनके समर्थन में धार्मिक संगठनों — खासकर किन्नर अखाड़ा — का उतर आना, प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है।
अब यह केवल एक व्यक्ति की धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि धर्म और व्यवस्था की सीधी टकराहट बनती जा रही है। आने वाले दिनों में जालोर सुर्खियों में बना रह सकता है।
भाजपा ने साधु समिति से कराई जांच की शुरुआत
जालोर में चल रहे अभयदास महाराज विवाद की गूंज अब भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गई है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। यह समिति आगामी तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट तैयार कर प्रदेशाध्यक्ष को सौंपेगी।
इस समिति में तिजारा विधायक और साधु संतों में लोकप्रिय चेहरा महंत बाबा बालकनाथ, पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी महाराज और सीकर से पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को शामिल किया गया है।
प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने स्पष्ट किया है कि रिपोर्ट आने के बाद पार्टी द्वारा सरकार को इस विवाद से जुड़े उचित सुझाव भेजे जाएंगे।
क्यों बनी जांच समिति?
अभयदास महाराज हाल ही में जालोर में भागवत कथा का आयोजन कर रहे थे। कथा के दौरान उन्होंने बायोसा माता मंदिर जाने की घोषणा की थी, जिसके बाद प्रशासन और उनके बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। मामला बढ़ता गया और पुलिस व समर्थकों के बीच झड़प तक पहुंच गया।
अब यह समिति यह जांच करेगी कि:
कथा स्थल पर तनाव क्यों उत्पन्न हुआ?
प्रशासनिक निर्णय के पीछे की परिस्थितियां क्या थीं?
धार्मिक आयोजन में बाधा के पीछे कौन जिम्मेदार था?
सूत्रों का बड़ा खुलासा:
सूत्रों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति या टीम एफिडेविट पर लिखित में यह जिम्मेदारी ले कि आयोजन में कोई बाधा नहीं होगी और शांति व्यवस्था बनी रहेगी, तो प्रशासन कथा वाचन की अनुमति देने को तैयार है।
भाजपा द्वारा इस संवेदनशील मुद्दे पर साधु-संतों की समिति बनाना यह दर्शाता है कि पार्टी धार्मिक भावनाओं को लेकर सतर्क है और विवाद को गंभीरता से ले रही है।
- महंत बाबा बालकनाथ (विधायक, तिजारा)
- महंत प्रतापपुरी महाराज (विधायक, पोकरण)
- स्वामी सुमेधानंद सरस्वती (पूर्व सांसद, सीकर)
भाजपा का यह कदम राज्य में संत समुदाय और जनभावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है। पार्टी चाहती है कि विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकले, लेकिन साथ ही ये भी सुनिश्चित हो कि कानून व्यवस्था पर असर न पड़े।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।