ऋषि ज्ञानआत्मानंद महाराज बोले – संस्कार और सत्संग से ही होगा समाज का सशक्त निर्माण

भीनमाल।
भीनमाल नगर में इन दिनों श्रद्धा, सेवा और संस्कृति का अनुपम संगम देखने को मिल रहा है, जहां माली समाज युवा संस्थान द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भगवत गीता सनातन धर्म संस्कार कथा एवं 108 कुण्डीय यज्ञ अनुष्ठान में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। यह आयोजन ऋषि ज्ञानआत्मानंद महाराज के सान्निध्य में आयोजित हो रहा है, जिनके प्रेरणादायक प्रवचनों से समाज की चेतना जागृत हो रही है।
यज्ञ अनुष्ठान से आरंभ, प्रवचनों से मनोविकास
कथा के द्वितीय दिवस की शुरुआत प्रातःकालीन यज्ञ अनुष्ठान से हुई, जिसमें समाजजनों ने वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ यज्ञ में आहुतियां देकर पुण्य लाभ अर्जित किया। आयोजन स्थल पर भक्तों की आस्था और सेवा भावना देखते ही बन रही थी।
इसके पश्चात ऋषि ज्ञानआत्मानंद महाराज ने कथा प्रवचन में कहा कि सेवा, संस्कार और सत्संग समाज की सबसे बड़ी ज़रूरत हैं। उन्होंने कहा कि आज का युवा वर्ग शिक्षा से समृद्ध है, लेकिन sanskar से वंचित होता जा रहा है। यही कारण है कि समाज में नैतिक गिरावट और पारिवारिक विघटन जैसे संकट बढ़ रहे हैं।
नशे और सोशल मीडिया से हो रहा मानसिक पतन
महाराजश्री ने स्पष्ट कहा कि युवा और बच्चे आज मोबाइल और सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव में फंसकर अपने पथ से भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि हमें एक सशक्त, समर्पित और नैतिक समाज बनाना है तो हमें संतों और शास्त्रों से प्राप्त ज्ञान को अपने आचरण (character) में उतारना ही होगा।
उन्होंने मातृशक्ति का आह्वान करते हुए कहा कि माता-पिता ही बच्चों को सेवा और संस्कार सिखाते हैं। माता अगर सजग हो तो संतान का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।
समाज की एकजुटता और सेवा भावना से बना भव्य आयोजन
संस्था के सचिव सी.एल. गेहलोत ने बताया कि कथा स्थल पर महिलाएं, बच्चे, युवा व बुज़ुर्ग बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं। आयोजन को सफल बनाने के लिए माली समाज युवा संस्थान के कार्यकर्ता पूरी निष्ठा और समर्पण से जुटे हुए हैं। प्रतिदिन कथा के समापन पर सभी श्रद्धालु पंगत में बैठकर वैदिक पद्धति से भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं।
कार्यक्रम के अंतर्गत सहयोगी भामाशाहों का सम्मान स्वयं ऋषि ज्ञानआत्मानंद महाराज द्वारा किया जाएगा। साथ ही, आयोजन में भारत माता संस्कार सेवा ट्रस्ट रानीवाड़ा के स्वयंसेवक भी व्यास पीठ पर सेवा दे रहे हैं। मंच संचालन का दायित्व कवि दिनेश्वर माली (मुंबई) निभा रहे हैं, जिनकी वाणी कथा को गरिमा प्रदान कर रही है।
निष्कर्ष
भीनमाल में हो रहा यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि समाज को संस्कार, सेवा और संयम का संदेश देने वाला सांस्कृतिक आंदोलन बन चुका है। ऋषि ज्ञानआत्मानंद महाराज के प्रवचन समाज को आत्म-चिंतन और पुनर्निर्माण की दिशा में प्रेरित कर रहे हैं।