
9 जुलाई 2025 को भारत में एक बड़ा मज़दूर आंदोलन देखा गया, जब 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (CTUs) के आह्वान पर देशभर में Bharat Bandh जैसा माहौल बन गया। यूनियनों का दावा है कि 25 करोड़ से ज्यादा मज़दूरों ने इस हड़ताल में भाग लिया और सरकार की श्रम विरोधी नीतियों, खासकर चार श्रम संहिताओं (Four Labour Codes) के खिलाफ यह एकजुट विरोध दर्ज कराया।
मुख्य सेक्टरों पर पड़ा असर
इस nationwide strike का असर खासतौर पर निम्नलिखित क्षेत्रों में दिखा:
- बिजली
- कोयला और खनिज क्षेत्र (जैसे लौह अयस्क, बॉक्साइट, सोना, मैंगनीज़ आदि)
- पोर्ट और सार्वजनिक परिवहन
- तेल और गैस, दूरसंचार, रक्षा उत्पादन, फाइनेंस सेक्टर और जूट मिल्स
यूनियन नेताओं ने नई दिल्ली में मजदूर रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक हड़ताल नहीं, बल्कि ‘सिस्टम के खिलाफ मज़दूरों की चेतावनी’ है।
ग्रामीण भारत और छात्रों की भागीदारी
ट्रेड यूनियनों ने दावा किया कि ग्रामीण भारत, ब्लॉक स्तर और उप-मंडल स्तर तक भी बड़ी संख्या में कृषि मज़दूरों, किसानों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों ने प्रदर्शन किए। कई राज्यों में छात्रों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी भी देखी गई।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और कृषि श्रमिक संगठनों ने गांव-गांव तक यह संदेश पहुँचाया कि सरकार की नीतियां सिर्फ उद्योगपतियों के लिए हैं, आम जनता के लिए नहीं।
किन राज्यों में रहा असर?
ट्रेड यूनियनों के अनुसार, पूर्ण या आंशिक bandh-like situation इन राज्यों में देखी गई:
Puducherry, Assam, Bihar, Jharkhand, Tamil Nadu, Punjab, Kerala, West Bengal, Odisha, Karnataka, Goa, Meghalaya, Manipur
इसके अलावा राजस्थान, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में आंशिक बंद और मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में औद्योगिक हड़ताल हुई।
विपक्ष और किसानों का समर्थन
वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता अमरजीत कौर ने कहा कि यह हड़ताल सरकार के लिए एक “कड़ा संदेश” है – यदि श्रम संहिताओं को लागू करने की कोशिश की गई, तो इसका व्यापक विरोध होगा। उन्होंने बताया कि SKM के साथ जल्द ही संयुक्त बैठक की जाएगी और बड़े पैमाने पर संयुक्त आंदोलन की रूपरेखा बनेगी।
CITU महासचिव तपन सेन ने कहा कि बाजार, कार्यालय, कोयला क्षेत्र, रक्षा फैक्ट्रियाँ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्रामीण क्षेत्र – सब जगह से जबरदस्त भागीदारी देखी गई।
हड़ताल के पीछे के मुख्य मुद्दे:
- Unemployment और Underemployment का उफान
- जरूरी वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी
- Indian Labour Conference का 10 वर्षों से न होना
- ‘Ease of Doing Business’ के नाम पर मज़दूर विरोधी फैसले
- Voting Rights से मज़दूरों को वंचित करने की कोशिश (बिहार)
आगे की रणनीति:
ट्रेड यूनियनों ने चेतावनी दी है कि यह केवल शुरुआत है। अब आने वाले महीनों में सेक्टोरल स्तर पर लामबंदी होगी और फिर एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
निष्कर्ष:
9 जुलाई की यह Bharat Bandh कोई साधारण हड़ताल नहीं थी – यह एक व्यापक सामाजिक चेतना का प्रदर्शन था। भारत के कामगारों, किसानों और युवाओं ने मिलकर यह दिखाया कि वे नीतिगत अन्याय के खिलाफ एकजुट हैं। यह आंदोलन आने वाले समय में श्रम अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की दिशा तय करेगा।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।