राजा भरत के नाम पर पड़ा भारत का नाम: श्रीमद् भागवत कथा में व्यास तिवारी का दिव्य उद्घोष

By Shravan Kumar Oad

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भीनमाल। माणकमल भंडारी
स्थानीय वराह श्याम मंदिर के सत्संग भवन में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में कथा वाचक व्यास जितेंद्र तिवारी ने भारत नाम की उत्पत्ति से जुड़ा अद्भुत आख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि राजा भरत के नाम पर अजनाभ का नाम ‘भारत’ पड़ा, और इसी से देश का नाम ‘भारतवर्ष’ हुआ।

नारायण से ब्रह्मा और फिर मानव सृष्टि का आरंभ

कथा के दौरान तिवारी ने सृष्टि विस्तार की गूढ़ व्याख्या करते हुए बताया कि नारायण से ब्रह्मा प्रकट हुए, जिन्होंने मानसी सृष्टि के बाद मनु और शतरूपा को मैथुनी सृष्टि के लिए प्रकट किया। मनु की संतान को ही ‘मनुष्य’ कहा गया।

राजा वेन से लेकर पृथु तक की कथा

उन्होंने आगे बताया कि मनु के पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद हुए, जिनमें उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव का जीवन प्रेरणादायक रहा। ध्रुव वंश में ही राजा वेन हुए, जिन्होंने धार्मिक अनुष्ठानों को बंद करवा दिया। तब ऋषि-मुनियों के मंथन से राजा पृथु का जन्म हुआ, जिनके नाम पर इस धरती को ‘पृथ्वी’ कहा गया।

राजा नाभि और फिर राजा भरत का जन्म

कथा में यह भी बताया गया कि प्रियव्रत के द्वारा निर्मित सप्त खंडों में प्रथम खंड ‘अजनाभ’ कहलाया। यहां राजा नाभि का जन्म हुआ, जिन्होंने इंद्र की पुत्री जयंती से विवाह किया। उनके सौ पुत्रों में राजा भरत सबसे प्रमुख हुए। इन्हीं के नाम पर अजनाभ का नाम भारत पड़ा।

भगवान के विविध अवतारों की व्याख्या

कथा के अंतर्गत वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम और श्रीकृष्ण के अवतारों की महिमा का वर्णन किया गया। कृष्ण जन्मोत्सव को भावपूर्ण तरीके से मनाया गया, जिसमें भक्तजन भावविभोर हो उठे।

दिव्यता और भव्यता से सराबोर रहा चतुर्थ दिन

त्रिवेदी परिवार द्वारा आयोजित इस कथा महोत्सव का चौथा दिन भक्तिमय रहा। कथा का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया के माध्यम से दूर-दराज़ के श्रद्धालुओं तक पहुँचा।
शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि शहर के सत्संग भवन में संतों और प्रबुद्धजनों की उपस्थिति ने कथा को दिव्यता और भव्यता प्रदान की।

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