
भीनमाल। पर्वाधिराज पर्यूषण महापर्व की पूर्णाहुति के बाद मंगलवार को जैन समाज ने अपने पांच प्रमुख कर्तव्यों में से एक चैत्य परिपाटी का आयोजन किया। इस मौके पर शहर में धर्म, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला।
शोभा यात्रा से गूंजा शहर
मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि चैत्य परिपाटी का शुभारंभ स्थानीय महावीर स्वामी जैन मंदिर प्रांगण से हुआ। साध्वी नयनप्रभा म.सा. के सानिध्य में निकली इस शोभा यात्रा में हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया।
यात्रा मंदिर प्रांगण से रवाना होकर प्रमुख मार्गों से होती हुई गोडी पार्श्वनाथ मंदिर पहुंची। वहां भक्तों ने दर्शन-वंदन कर धर्मसभा में हिस्सा लिया।
प्रवचन में पांच कर्तव्यों का महत्व
धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी नयनप्रभा म.सा. ने कहा कि पर्यूषण महापर्व केवल आत्मशुद्धि का पर्व नहीं है, बल्कि यह पांच प्रमुख कर्तव्यों – अमारी प्रवर्तन, साधार्मिक वात्सल्य, क्षमापना, अढ्ढम तप और चैत्य परिपाटी – का पालन करने की प्रेरणा भी देता है।
उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि इन कर्तव्यों को जीवन का हिस्सा बनाकर आत्मकल्याण के साथ समाज और धर्म की उन्नति में योगदान दें।
स्वामीवात्सल्य में उमड़ी भीड़
चैत्य परिपाटी के अवसर पर गोडी पार्श्वनाथ मंदिर प्रांगण में जैन संघ द्वारा स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया। इसमें न केवल भीनमाल जैन समाज के लोग, बल्कि आस-पास के गांवों और कस्बों से आए श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
समाजबंधुओं की सक्रिय भागीदारी
इस आयोजन में मुकेश बाफना, भंवरलाल, उत्तम संघवी, माणकमल भंडारी, अशोक सेठ, डॉ. नेमीचंद संघवी, रमेश धोकर, नेमीचंद और शैलेश कोठारी सहित बड़ी संख्या में समाजबंधु मौजूद रहे।
पूरा वातावरण भक्ति और सामूहिकता से सराबोर था।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।