
जालोर (श्रवण कुमार ओड़) – जालोर शहर और आस-पास के क्षेत्रों में बुधवार को देवझूलनी एकादशी का पर्व बड़ी धूमधाम और श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। इस पावन मौके पर शहर के 9 से अधिक समाजों के मंदिरों से ठाकुरजी (श्रीकृष्ण) की भव्य रेवाड़ियां निकाली गईं। ढोल-नगाड़ों, भजन-कीर्तन और जयकारों से गूंजते इन जुलूसों ने पूरे नगर को भक्ति और उल्लास से सराबोर कर दिया।
समाजों की भव्य भागीदारी
शाम 4 बजे से माली समाज, घांची समाज, कुम्हार समाज, श्रीमाली समाज, सोनी समाज, सुथार समाज, वैष्णव समाज और खत्री समाज सहित अन्य समाजों के मंदिरों से ठाकुरजी की रेवाड़ियां रवाना हुईं। गाजे-बाजे और भक्तिमय माहौल के बीच निकली इन शोभायात्राओं ने शहर के मुख्य मार्गों को भक्ति रस में डुबो दिया।
जुलूस सुन्देलाव तालाब तक पहुंचे, जहां सभी का सामूहिक स्वागत किया गया।
महाआरती और प्रसाद वितरण
तालाब किनारे आयोजित महाआरती में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सभी ने ठाकुरजी को प्रसाद अर्पित कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद रेवाड़ियां वापस अपने-अपने मंदिरों में स्थापित की गईं।
ग्रामीण क्षेत्रों से आए भक्तों की भारी संख्या ने इस आयोजन को और भी भव्य बना दिया। हर ओर भक्ति, उल्लास और श्रद्धा का अद्भुत संगम दिखाई दिया।
धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में देवझूलनी एकादशी का विशेष स्थान है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की रेवाड़ी शोभायात्रा और विशेष पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
प्रशासन की व्यवस्था
भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन और पुलिस ने व्यापक प्रबंध किए। जुलूस मार्गों पर सुरक्षा, यातायात नियंत्रण और भीड़ प्रबंधन की बेहतरीन व्यवस्था की गई। इसी कारण पूरा आयोजन शांति और सुव्यवस्था के साथ संपन्न हुआ।
सांस्कृतिक एकता का अद्भुत उदाहरण
जालोर में देवझूलनी एकादशी का यह आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और परंपरागत संस्कृति का अनुपम उदाहरण साबित हुआ। हर दिल भक्ति और आनंद से भर उठा।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।