
जालौर, 14 जुलाई 2025।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद जालोर इकाई द्वारा गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर विचार गोष्ठी एवं गुरुजन सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय था – “सनातन गुरु परंपरा और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण में गुरु की भूमिका”।
संस्कार युक्त शिक्षा और नवाचार पर हुआ जोर
जिला महामंत्री कुलदीप खंडेलवाल ने जानकारी दी कि परिषद का उद्देश्य शिक्षकों को केवल ज्ञानदाता नहीं, बल्कि समाज निर्माता के रूप में सम्मानित करना है। इस अवसर पर उन शिक्षकों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने शिक्षा में नवाचार और संस्कार युक्त शिक्षा के लिए विशेष योगदान दिया है।
मंच पर रही प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति
कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक एवं जालोर विधायक जोगेश्वर गर्ग ने की। मंच पर उनके साथ वरिष्ठ नेता रविंद्र सिंह बालावत, मूलराज भंडारी, भगवती प्रसाद वशिष्ठ, अजय गुप्ता, संदीप जोशी आदि गणमान्य उपस्थित रहे।
विचार गोष्ठी के मुख्य बिंदु
- जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि गुरु वही होता है जो जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बीच समन्वय करना सिखाए।
- रविंद्र सिंह बालावत ने भावुक होकर कहा कि शिक्षक पुत्र होना जन्म से ही एक भगवान की कृपा है।
- संदीप जोशी ने कहा, “नवाचार बड़ी बातों से नहीं, छोटे कार्यों से होते हैं।” उन्होंने नो बैग डे और कन्या पूजन जैसे प्रयोगों की चर्चा की।
- अजय गुप्ता ने कहा, “राष्ट्रीय विचार ही शिक्षा की आत्मा है।”
- मूलराज भंडारी ने बदलते शिक्षा तंत्र और उसके खतरों पर चिंता व्यक्त की।
- शिक्षाविद् ओमप्रकाश खंडेलवाल ने सतयुग से आधुनिक काल तक की गुरु-शिष्य परंपरा पर विस्तार से प्रकाश डाला।
- ललित दवे, नागरिक बैंक उपाध्यक्ष, ने कहा कि “चैट GPT ज्ञान दे सकता है, पर संस्कार नहीं।”
- वरिष्ठ साहित्यकार अचलेश्वर आनंद ने भारतीय समाज में गुरु के गौरव की व्याख्या की।
- समाजसेवी मदनराज बोहरा ने कहा कि उनके जीवन की सफलता का श्रेय उनके गुरुओं को जाता है।
- डाइट प्रिंसिपल शांतिलाल दवे ने कहा कि राष्ट्र गुरुओं जैसे स्तंभों पर ही टिका है।
- साहित्यकार राजेंद्र सिंह ने शिक्षा के बाजारीकरण पर गहरी चिंता प्रकट की।
शिक्षकों का सम्मान एवं आयोजन का समापन
कार्यक्रम के अंत में मंचासीन अतिथियों द्वारा चयनित श्रेष्ठ गुरुओं को शाल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
अश्विनी श्रीमाली ने परिषद की ओर से सभी आगंतुकों, अतिथियों और शिक्षकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य
इस आयोजन में पुरुषोत्तम पोमल, अनिल शर्मा, पी. आर. चौधरी, किशोरसिंह राजपुरोहित, सांवलाराम माली, पदमा नागर, निशा कुट्टी, खुशवंत नाग, श्रवण, भरत कोराणा सहित शहर के प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन भरत कोराणा ने किया।
निष्कर्ष
यह आयोजन न केवल गुरु-शिष्य परंपरा को फिर से जीवित करता है, बल्कि आज के समय में शिक्षा में संस्कार, राष्ट्र निर्माण, और नवाचार के महत्व को भी उजागर करता है। ऐसे कार्यक्रम समाज में सकारात्मक परिवर्तन की प्रेरणा बनते हैं।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।