
नेशनल रिपोर्ट (नई दिल्ली)।
भारत की प्रमुख फुटबॉल लीग Indian Super League (ISL) का 2025‑26 सीज़न फिलहाल स्टॉल पर है, क्योंकि AIFF (All India Football Federation) और FSDL (Football Sports Development Limited) के बीच Master Rights Agreement (MRA) की नवीनीकरण प्रक्रिया में विवाद चल रहा है।
विवाद की जड़ – MRA रिन्यूअल पिछड़ रहा है
FSDL, जो रिलायंस की सहायक कंपनी है और 2010 से ISL का कमर्शियल पार्टनर है, ने AIFF को लिखा कि MRA जो दिसंबर 2025 में समाप्त हो रहा है, उसे लेकर अनुबंध स्पष्ट नहीं है।
AIFF ने बताया कि नवंबर 2024 से ही इस पर बातचीत हो रही है, और फरवरी और मार्च 2025 में नए ड्राफ्ट प्रस्ताव पेश किये गए। लेकिन 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि तब तक नया समझौता न किया जाए जब तक संविधान संशोधन मामले पर फैसला नहीं आ जाता।
ISL Season 2025‑26 पर क्या असर?
- FSDL ने ISL क्लबस को सूचित किया है कि “अनिश्चित कानूनी स्थिति” के कारण वे 2025‑26 सीज़न की व्यवस्था रोके बिना आगे नहीं बढ़ सकते। इसलिए लीग का नया सीजन फिलहाल स्थगित ही रहेगा।
- ISL आमतौर पर सितंबर से अप्रैल तक चलता है, लेकिन नया MRA दिसंबर में समाप्त हो रहा है, इसलिए FSDL कह रहा है कि वित्तीय और आयोजन की योजना अभी लागू नहीं की जा सकती।
- AIFF ने सभी हितधारकों को आश्वासन दिया है कि वह लीग की सततता सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन भी कर रहा है।
हो सकता है नए MRA में Governance मॉडल में बदलाव
FSDL ने सुझाव दिया था कि नए समझौते में:
- 60% क्लबों के हिस्से में
- 26% FSDL के हिस्से में
- 14% AIFF के हिस्से में
– कुल मिलाकर यह इक्विटी मॉडल पेश किया जाए।
AIFF ने नगद-आधारित वार्षिक भुगतान की मांग रखी—वर्तमान में FSDL हर साल लगभग ₹50 करोड़ AIFF को देता है, साथ 5% वार्षिक वृद्धि की शर्त भी जोड़ी है।
ये दोनों प्रस्ताव असंतुलित माने जा रहे हैं, जिससे वार्ता अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाई।
प्रक्रिया और अगला कदम
- एफएसडीएल ने अप्रैल में प्रस्ताव दिया, और AIFF ने 21 अप्रैल 2025 को काउंटर‑प्रपोजल भेजा।
- लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और संविधान संशोधन प्रक्रिया धीमी पड़ गई।
- अब दोनों पक्ष नया फैसला सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई तक इंतजार कर रहे हैं।
इस बीच:
- आईएसएल क्लबस संभावित वित्तीय और अध्ययन अभियानों के लिए इंतजार कर रही हैं।
- खिलाड़ी, कोच और स्टाफ अब ट्रेनिंग अथवा हस्तांतरण योजनाओं में निर्णय नहीं ले पा रहे।
- प्रायोजक, Broadcasters और समर्थक भी अनिश्चितता से प्रभावित हैं।
अगर समझौता न हुआ, तो क्या होगा?
- 2025‑26 ISL सीज़न माइंडर किया जा सकता है, जिससे देश में फुटबॉल विकास पर असर होगा।
- युवा खिलाड़ियों के लिए मंच की कमी हो सकती है, जिससे राष्ट्रीय टीम की सप्लाई भी प्रभावित हो सकती है।
- भारतीय फुटबॉल के माहौल में Sponsors, Broadcasters और Grassroots निवेश रुका या कम हो सकता है।
निष्कर्ष
AIFF और FSDL के बीच Master Rights Agreement के मुद्दे ने ISL को एक अहम मोड़ पर ला खड़ा किया है। सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई तय करेगी कि लीग का भविष्य सुरक्षित रहेगा या नहीं। ऐसे में, भारतीय फुटबॉल के हित में सभी हितधारकों को एहतियात और सहयोग से आगे बढ़ना होगा, ताकि देश की अब तक सफलता की राह बाधित न हो।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।