जालोर में धर्म और प्रशासन का संघर्ष समाप्त – Abhaydas Maharaj ने तोड़ा अनशन, मंत्री Joraram Kumawat की पहल बनी समाधान की चाबी

By Shravan Kumar Oad

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Abhaydas Maharaj ends hunger strike in Jalore, visits Baiosa Mandir with followers after talks with minister Joraram Kumawat
Abhaydas Maharaj ends hunger strike in Jalore, visits Baiosa Mandir with followers after talks with minister Joraram Kumawat

जालोर, श्रवण कुमार ओड़
राजस्थान के जालोर जिले में बीते 24 घंटे से चल रहा धार्मिक और प्रशासनिक तनाव आखिरकार शनिवार शाम शांति में बदल गया। कथावाचक अभयदास महाराज द्वारा चलाया गया आमरण अनशन उस समय समाप्त हुआ जब कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत स्वयं मौके पर पहुंचे और व्यक्तिगत संवाद के बाद समाधान का रास्ता निकला।
अनशन समाप्ति के तुरंत बाद अभयदास महाराज अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बायोसा माताजी मंदिर पहुंचे और विधिवत दर्शन किए। इस घटनाक्रम के शांत हो जाने से पूरे जालोर में अस्थिरता की आशंका भी अब टल गई है।

घटनाक्रम – कहां से शुरू हुआ विवाद?

शुक्रवार की शाम अभयदास महाराज अपने समर्थकों के साथ बायोसा मंदिर जाना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस निर्णय के विरोध में महाराज कालका कॉलोनी की एक छत पर चढ़कर बैठ गए और वहीं से आमरण अनशन की घोषणा कर दी।
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद नहीं आते, वे अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे। इस बीच भारी बारिश भी हुई, लेकिन उनके समर्थक रात भर नीचे डटे रहे। सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य जिलों से भी समर्थकों को बुलाया गया जिससे माहौल और अधिक संवेदनशील हो गया।

संत समाज और महंतों की समझाइश भी नाकाम

शनिवार सुबह, सिरे मंदिर के महंत, अन्य साधु-संत और प्रतिनिधिमंडल महाराज को समझाने पहुंचे लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े रहे। अभयदास ने प्रशासनिक अधिकारियों के निलंबन और मंदिर क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की शर्त दोहराई।
हालात बिगड़ते देख संत समाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्वयं को इस आंदोलन से अलग कर लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अतिक्रमण हटाना प्रशासन का कार्य है, किसी कथावाचक का नहीं।

मंत्री जोराराम की सक्रिय पहल बनी समाधान की कुंजी

शनिवार शाम को स्थिति में बड़ा बदलाव तब आया जब राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत स्वयं जालोर पहुंचे। उन्होंने अभयदास महाराज से व्यक्तिगत वार्ता की और उन्हें विश्वास दिलाया कि सरकार साधु-संतों की गरिमा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह भी सामने आया कि मंत्री स्वयं महाराज को गुरु मानते हैं, और उनके आग्रह पर ही महाराज ने अपना अनशन समाप्त किया। इसके तुरंत बाद महाराज चार बसों में सवार होकर अपने समर्थकों सहित बायोसा मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे।

मंदिर दर्शन के बाद प्रशासन को दी गई शिकायत

मंदिर दर्शन के बाद महाराज ने यह स्पष्ट किया कि मंदिर क्षेत्र और आसपास अवैध मजारों और अतिक्रमणों की बढ़ती संख्या को लेकर वे प्रशासन से शिकायत करेंगे।
इस पर जालोर कलेक्टर प्रदीप के. गावंडे और एसपी ज्ञानचंद्र यादव ने कहा कि यदि कोई विधिवत शिकायत आती है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

🕉 अखाड़ा परिषद और संत समाज की शांति की अपील

स्थानीय संत समाज और अखाड़ों ने भी इस विवाद में संयम और शांति बनाए रखने की अपील की है। उनका कहना है कि यदि मंदिर परिसर में अतिक्रमण हुआ है तो उसे प्रशासन कानूनी तरीके से हटाएगा, लेकिन इस प्रक्रिया में किसी भी कथावाचक या भीड़ को शामिल नहीं होना चाहिए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि महाराज अपनी जिद पर अड़े रहते हैं, तो अखाड़ा परिषद उनका साथ नहीं देगी।

मंत्री और विधायकों की प्रतिक्रियाएं

जोराराम कुमावत – कैबिनेट मंत्री

“मैं स्वयं अभयदास जी महाराज को गुरु मानता हूं। उनके अनशन की समाप्ति से राहत मिली है। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी के नेतृत्व में सरकार साधु-संतों और धार्मिक परंपराओं के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

जोगेश्वर गर्ग – मुख्य सचेतक व विधायक, जालोर

“यदि किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण या मजार किले क्षेत्र में पाया जाता है, तो प्रशासन उचित कानूनी कार्रवाई करेगा। मैं नागरिकों से अपील करता हूं कि अफवाहों से दूर रहें और कानून व्यवस्था पर विश्वास रखें। हमारी सांस्कृतिक परंपराएं हमारी पहचान हैं, उन्हें सुरक्षित रखना हम सभी का दायित्व है।”

निष्कर्ष – संयम, संवाद और समाधान की मिसाल

जालोर में बीते 24 घंटे में जो टकराव की स्थिति बनी, वह एक बड़ा संकट बन सकता था। लेकिन प्रशासन की संवेदनशीलता, मंत्री की सक्रियता और संत समाज की भूमिका ने इस विवाद को शांति और समाधान की ओर मोड़ दिया।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अतिक्रमण की जांच किस हद तक होती है और शासन इसमें कितनी पारदर्शिता बरतता है। यह घटनाक्रम आने वाले समय में सामाजिक नेतृत्व और प्रशासनिक संतुलन का उदाहरण बनेगा।

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