
जयपुर, 15 जुलाई 2025।
राजस्थान विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस को भुला दिए जाने पर कड़ा ऐतराज़ जताते हुए इसे “शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया है। उन्होंने इसे राज्य सरकार की लापरवाही और विश्वविद्यालय प्रशासन की गंभीर असंवेदनशीलता का परिणाम बताया।
स्थापना दिवस की अनदेखी, सरकार पर गंभीर आरोप
टीकाराम जूली ने कहा कि
“सरकार को कुलपति का नाम बदलकर ‘कुलगुरू’ करने का शौक रहा, लेकिन प्रदेश के गौरवशाली विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस (14 जुलाई) को भुला दिया गया। यह दर्शाता है कि सरकार केवल नाम बदलने की राजनीति कर रही है, जबकि असल में शिक्षा और परंपरा के प्रति उसका कोई सम्मान नहीं है।”
शेरे-ए-राजस्थान की विरासत का अपमान
उन्होंने यह भी बताया कि
शेरे-ए-राजस्थान, पूर्व मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास के नाम पर 14 जुलाई 1962 को विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी।
“उनकी शिक्षा क्षेत्र में अमूल्य देन रही है, और इस विश्वविद्यालय का नाम भी उन्हीं की स्मृति को समर्पित है, फिर भी सरकार और प्रशासन ने इस दिन को पूरी तरह नजरअंदाज किया।”
कार्यवाहक कुलगुरु और रजिस्ट्रार पद पर भी लापरवाही
जूली ने आरोप लगाया कि पिछले 5 महीनों से विश्वविद्यालय में स्थायी कुलगुरु और रजिस्ट्रार नहीं हैं, केवल कार्यवाहक पदस्थ हैं, जो अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे हैं। इसी कारण विश्वविद्यालय के प्रशासनिक स्तर पर यह चूक हुई, और कोई आयोजन या सम्मान कार्यक्रम नहीं हुआ।
शिक्षा क्षेत्र के महापुरुषों की प्रतिमाओं की उपेक्षा
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (पूर्व राष्ट्रपति व शिक्षाविद्)
- जयनारायण व्यास (पूर्व मुख्यमंत्री)
की प्रतिमाओं की उपेक्षा और उनकी उचित देखभाल न करना भी महापुरुषों का अपमान है।
उन्होंने कहा कि
“सरकार का मौन रहना शिक्षा का अपमान है। ऐसी घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”
निष्कर्ष:
इस पूरे मामले ने राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था और सरकारी संजीदगी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेता प्रतिपक्ष द्वारा उठाया गया यह मुद्दा न केवल एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की गरिमा से जुड़ा है, बल्कि प्रदेश के शिक्षा भविष्य के प्रति सरकार की नीयत को भी उजागर करता है।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।