
भीनमाल, सिरोही (रिपोर्टर: माणकमल भंडारी)
राजस्थान में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक चौंकाने वाली लापरवाही और अनैतिकता का मामला सामने आया है। कालंद्री गांव में निर्माणाधीन “संघवी हीराचंद फूलचंद राजकीय महाविद्यालय” का लोकार्पण मुख्यमंत्री से ऑनलाइन करवा दिया गया, जबकि भवन उस समय पूरी तरह से बना ही नहीं था।
सबसे गंभीर बात ये है कि जिस भामाशाह परिवार ने 5 करोड़ की लागत से यह कॉलेज भवन बनवाया, और जिसके साथ सरकार का लिखित MoU हुआ था, उन्हें न तो लोकार्पण की सूचना दी गई और न ही शिलालेख में उनके परिवार का नाम अंकित किया गया।
क्या है पूरा मामला?
- संघवी हीराचंद फूलचंद चैरिटेबल ट्रस्ट ने कालंद्री गांव में 5 करोड़ की लागत से 26,000 वर्ग फीट में नया कॉलेज भवन बनवाने का बीड़ा उठाया था।
- 18 मई 2022 को सरकार और ट्रस्ट के बीच लिखित सहमति-पत्र (MoU) हुआ था, जिसमें स्पष्ट रूप से कई बिंदुओं का उल्लेख था:
- भवन निर्माण की संपूर्ण जिम्मेदारी ट्रस्ट की होगी।
- भवन में दिव्यांगजनों के लिए विशेष सुविधाएं जैसे रैम्प और शौचालय बनाए जाएंगे।
- चारदीवारी, तीनों ओर तारबंदी, मुख्य द्वार और वर्षा जल संरक्षण प्रणाली (Rainwater Harvesting System) ट्रस्ट बनाएगा।
- भवन पर ट्रस्ट और उसके पूर्वजों के नाम का स्थायी शिलालेख लगाया जाएगा।
- भविष्य में किसी भी विस्तार या निर्माण से पहले ट्रस्ट से अनुमति ली जाएगी।
परत-दर-परत खुला मामला
- जब भवन का निर्माण कार्य लगभग पूरा हुआ, ट्रस्ट ने पंजाब के राज्यपाल श्री गुलाबचंद कटारिया से संपर्क किया कि वे लोकार्पण करें।
- इसके लिए ट्रस्ट चेयरमैन भरत आर सिंघवी ने 17 मई को और सिरोही भाजपा जिलाध्यक्ष रक्षा भंडारी ने 3 जून को राज्यपाल को पत्र भेजे।
- लेकिन इसी दौरान यह सामने आया कि राज्य सरकार और उच्च शिक्षा विभाग ने 6 माह पहले ही ऑनलाइन उद्घाटन करवा दिया था, जबकि भवन तब तक बना ही नहीं था!
- इससे भामाशाह परिवार, स्थानीय भाजपा इकाई, और समाज में सहयोग देने वाले नागरिकों में भारी असंतोष फैल गया।
सहमति-पत्र का उल्लंघन और प्रशासनिक असंवेदनशीलता
- सहमति पत्र की सबसे बड़ी शर्त थी कि लोकार्पण ट्रस्ट की जानकारी और सहमति से ही होगा।
- शिलालेख में ट्रस्ट परिवार के नाम को अंकित किया जाना अनिवार्य था, लेकिन यह नहीं किया गया।
- इससे यह साफ होता है कि सरकार ने न केवल MoU का उल्लंघन किया, बल्कि दानदाताओं का भी सार्वजनिक अपमान किया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: संयम लोढ़ा ने की कड़ी आपत्ति
- पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री संयम लोढ़ा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर मांग की कि:
- सरकार इस मामले में क्षमा मांगे,
- सम्मानजनक समाधान निकाले, और
- उत्तरदायी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
सरकारी अनदेखी या जानबूझ कर किया गया फैसला?
- एक सवाल जो हर कोई पूछ रहा है — क्या यह प्रशासनिक भूल है या जानबूझकर किया गया राजनीतिक निर्णय?
- क्या सरकार और शिक्षा विभाग दानदाताओं को क्रेडिट देने से बचना चाहते थे?
- और यदि ऐसा है, तो क्या यह आने वाले समय में भविष्य के दानकर्ताओं को हतोत्साहित नहीं करेगा?
समाज का योगदान — राजनीति से ऊपर
- ट्रस्ट ने सिर्फ भवन नहीं बनाया, बल्कि:
- दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं,
- पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए जल संरक्षण प्रणाली,
- और अपने पूर्वजों की मूर्तियों की स्थापना जैसे धार्मिक और सामाजिक कार्य भी तय किए थे।
- ऐसे योगदान को राजनीतिक लाभ की होड़ में नजरअंदाज करना समाज और संस्कृति — दोनों का अनादर है।
निष्कर्ष:
संघवी हीराचंद फूलचंद महाविद्यालय का लोकार्पण विवाद केवल एक कार्यक्रम या शिलालेख का मुद्दा नहीं है,
यह एक बड़ा सवाल है कि राज्य सरकार और प्रशासन अपने दानदाताओं, सामाजिक संगठनों और जनता के साथ कितनी ईमानदारी से व्यवहार कर रहा है।
राज्यपाल से लेकर स्थानीय नेतृत्व तक इस मुद्दे पर गंभीर हैं। आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी कि सरकार इस “ऑनलाइन उद्घाटन” की चूक को कैसे सुधारती है।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।