
अब केशवना में कोई नहीं रहेगा निरक्षर — इस मिशन को साकार करने के लिए स्थानीय शिक्षकों ने अपनी कमर कस ली है। PEEO चंद्रशेखर परमार ने इस ग्राम पंचायत को निरक्षरता के कलंक से मुक्त कर “उजियारी पंचायत” के रूप में स्थापित करने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है। शिक्षा के इस यज्ञ में शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, निजी विद्यालय, पूर्व छात्र परिषद सभी मिलकर योगदान दे रहे हैं।
Literacy Mission की ग्राउंड टीम सक्रिय
इस महाअभियान की कमान संभाली है CTS Survey प्रभारी शिक्षक ललित ठाकुर ने। उनके नेतृत्व में एक Task Force बनाई गई है, जो प्रतिदिन फील्ड में जाकर drop-out और un-enrolled students को खोजकर घर पर ही प्रवेश (admission at doorstep) दिला रही है।
हर दिन टीम को 10 छात्रों का लक्ष्य दिया गया है। बच्चों को स्कूल लाकर उनका तिलक और माल्यार्पण से स्वागत किया जाता है — जिससे उन्हें शिक्षा के प्रति सम्मान और जुड़ाव महसूस हो।
स्कूलों में Entry Queue: शिक्षा की ओर कदम
इस दौरान संयुक्त निदेशक कार्यालय पाली के ADEO वेदप्रकाश गुर्जर ने एक विद्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया, जहां उन्होंने देखा कि 20 बच्चों की कतार स्कूल में प्रवेश के लिए लगी हुई है। प्रवेश प्रभारी कमलेश सैन इनका नामांकन कर रहे थे।
भील बस्ती तक पहुंची शिक्षा की रौशनी
सायला CBO लेहरीराम माली भी इस मुहिम को सहयोग देने पहुंचे केशवना गांव की भील बस्ती में, जहां प्रह्लाद गर्ग, ललित ठाकुर, तगाराम, जालाराम, परबत सिंह जैसे शिक्षक फील्ड में सक्रिय दिखे और बच्चों को admission दिलवाते नजर आए।
Adult Education भी मुख्य फोकस
सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि 18 वर्ष से अधिक आयु के निरक्षर लोगों को भी NI-LP (New India Literacy Programme) के तहत लर्निंग से जोड़ने का कार्य चल रहा है। इसके लिए व्याख्याता नरेश देवड़ा के नेतृत्व में एक अलग Task Force गठित की गई है, जो उनका पंजीयन (registration) कर रही है।
लक्ष्य: 100 नवप्रवेश, दर्जा: उजियारी पंचायत
PEEO चंद्रशेखर परमार ने जानकारी दी कि इस बार 100 नए छात्रों का नामांकन (New Admission Target) किया जाएगा। इस लक्ष्य को प्राप्त कर केशवना को पूर्ण साक्षर पंचायत और “Ujjiyari Panchayat” का दर्जा दिलाया जाएगा।
निष्कर्ष:
केशवना में शिक्षा केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक क्रांति का रूप ले चुकी है। यहां के शिक्षक सिर्फ किताबें नहीं बाँट रहे, वे भविष्य लिख रहे हैं। केशवना का यह मॉडल अगर जारी रहा, तो यह न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत के ग्रामीण शिक्षा तंत्र के लिए inspiration बन सकता है।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।