
– सायला, ओटवाला ग्राम पंचायत से रिपोर्ट
ओटवाला ग्राम पंचायत के खरल गांव में कांटा वाली माताजी मंदिर तक जाने वाला मुख्य मार्ग पिछले 12 वर्षों से बदहाल स्थिति में है। हालात इतने खराब हैं कि बारिश में पैदल निकलना भी नामुमकिन हो जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायत ने इस रास्ते की मरम्मत को लेकर लगातार लापरवाही बरती है।
हर साल बारिश में बनता है दलदल
यह रास्ता खरल बस स्टैंड से लेकर राजकीय विद्यालय के पास स्थित कांटा वाली माताजी मंदिर तक करीब एक किलोमीटर लंबा है। इसी रास्ते से सैकड़ों श्रद्धालु, स्कूली बच्चे और ग्रामीण रोजाना गुजरते हैं। साथ ही यह रास्ता कृषि बेरो (मजदूरों) के आने-जाने का भी मुख्य मार्ग है।
बारिश के मौसम में यह पूरा रास्ता कीचड़ और पानी से भर जाता है। सड़क पर बिछी पुरानी मिट्टी घुलकर दलदल बना देती है। नतीजा — स्कूली बच्चे कीचड़ में फिसलते हैं, बाइक चालकों को भारी मुश्किल होती है और बीमार लोगों को अस्पताल तक पहुंचने में दिक्कत आती है।
गांव वालों की यादें और दर्द – “11 साल पहले डाली थी थोड़ी ग्रेवल, वो भी उड़ गई!”
ग्रामीणों ने बताया कि करीब 11 साल पहले पंचायत ने इस रास्ते पर नाममात्र की ग्रेवल डालकर सड़क बनाने की रस्म अदायगी की थी। लेकिन कुछ ही महीनों में वो ग्रेवल उखड़कर बिखर गई। तब से लेकर आज तक पंचायत ने इस सड़क की ओर ध्यान नहीं दिया।
बारिश आई तो दो ट्रॉली मिट्टी डाल दी, बस इतिश्री हो गई!
कुछ दिन पहले बारिश के बाद जब रास्ता पूरी तरह कीचड़ से भर गया, तब गांव वालों ने पंचायत के खिलाफ विरोध जताया। जवाब में पंचायत ने सिर्फ दो ट्रॉली मिट्टी डलवा दी और काम बंद कर दिया। ना रोलर चला, ना समतलीकरण हुआ।
ग्रामीणों का कहना है कि इस रास्ते से एक सरकारी और एक निजी स्कूल के बच्चे हर दिन गुजरते हैं। साथ ही पास में उप स्वास्थ्य केंद्र भी है, जहां बीमार बुजुर्गों और किसानों को लाना पड़ता है।
अब ग्रामीणों की मांग – “राज्य सरकार की योजना में मंजूरी मिले!”
खरल के जागरूक ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा है। लेकिन आज तक किसी योजना में इस सड़क को शामिल नहीं किया गया। गांव वालों की मांग है कि सरकार इस रास्ते को सरकारी योजना में शामिल कर पक्की सड़क का निर्माण करवाए।
लोगों का सवाल – क्या किसी दुर्घटना के बाद ही सुध लेगी पंचायत?
सड़क की यह स्थिति ग्रामीणों के लिए रोज़ की परेशानी बन चुकी है। अब लोगों को डर है कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ, तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।
ग्रामीणों की आवाज़ अब बुलंद होती जा रही है — “12 साल से सह रहे हैं, अब और नहीं!”

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।