निजी स्कूलों की सराहनीय पहल: संकट में शिक्षा को मिला नया सहारा

By Shravan Kumar Oad

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भीनमाल। ( माणकमल भंडारी )
झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में हाल ही में स्कूल भवन की छत गिरने से हुए दर्दनाक हादसे के बाद जब भय, अनिश्चितता और असुरक्षा का माहौल था, तब राजस्थान के निजी विद्यालयों ने एकजुट होकर शिक्षा बचाने की मिसाल पेश की है। इस मानवीय पहल ने न केवल समाज को झकझोरा है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि शिक्षा केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक सहभागिता से ही पूर्ण हो सकती है।

शिक्षा में भय का माहौल, लेकिन निजी स्कूलों ने बढ़ाया सहयोग का हाथ

झालावाड़ के पीपलोदी गांव की विद्यालय दुर्घटना के बाद, बच्चों में गहरा डर बैठ गया है। ऐसे माहौल में बच्चे विद्यालय जाने से कतरा रहे हैं। लेकिन इस डर को “शिक्षा से हराने” की सोच लेकर आगे आए हैं राज्यभर के लघु एवं मध्यम दर्जे के निजी विद्यालय।

स्कूल शिक्षा परिवार राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा ने मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजकर प्रस्ताव रखा कि जब तक सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण नहीं हो जाता, निजी स्कूल इन सरकारी विद्यार्थियों को नि:शुल्क या आरटीई के तहत शिक्षा देंगे।

मनोहरथाना ब्लॉक के स्कूलों ने किया ऐलान: नि:शुल्क प्रवेश देंगे

डॉ. शर्मा ने बताया कि मनोहरथाना ब्लॉक के सभी निजी स्कूलों ने यह निर्णय लिया है कि वे पीपलोदी स्कूल के सभी बच्चों को अपने स्कूलों में नि:शुल्क दाखिला देंगे। इसके लिए बच्चों के माता-पिता मनोहरथाना ब्लॉक के किसी भी निजी स्कूल में संपर्क कर सकते हैं।

ग्रामीणों द्वारा शेष जर्जर भवन को स्वयं गिरा दिए जाने के बाद अब बच्चे डरे हुए हैं और स्कूल नहीं जाना चाहते। लेकिन इस सहयोगी निर्णय से अब उन बच्चों को एक नया, सुरक्षित और प्रेरणादायक शैक्षणिक माहौल मिलेगा।

राज्यभर से मिली सकारात्मक प्रतिक्रियाएं

स्कूल शिक्षा परिवार जालोर के जिलाध्यक्ष विक्रमसिंह राठौड़ धानसा ने भी बताया कि यह पहल सिर्फ एक गांव तक सीमित नहीं है। राज्य के अन्य जिलों में भी निजी स्कूलों ने संकेत दिए हैं कि वे ऐसी ही परिस्थितियों में बच्चों को नि:शुल्क या आरटीई के तहत शिक्षा देने के लिए तत्पर हैं।

जालोर जिले के अलावा, जहां-जहां जर्जर भवन या अन्य कारणों से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई बाधित हो रही है, वहां के बच्चों को निजी विद्यालयों में स्थान देने की तैयारी है। इसका उद्देश्य है कि किसी भी बच्चे की शिक्षा रुकनी नहीं चाहिए।

शिक्षा व्यवस्था को नया संबल, समाज ने दिखाई जिम्मेदारी

यह संकट भले ही अचानक आया हो, लेकिन इससे राजस्थान के शिक्षा समाज ने यह सिद्ध कर दिया है कि केवल सरकार पर निर्भर रहना समाधान नहीं है। जन-सहभागिता, सामाजिक संवेदनशीलता और शिक्षा के प्रति जागरूकता ही इस चुनौती से निपटने का सही तरीका है।

निजी विद्यालयों की इस सामूहिक पहल ने शिक्षा को नया संबल प्रदान किया है, जो आगे चलकर एक स्थायी मॉडल बन सकता है। यह पहल उस सपने को साकार करने की दिशा में है जहां हर बच्चा सुरक्षित, सम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सके।

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