
जयपुर।
राजस्थान सरकार ने भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों पर नकेल कसते हुए बड़ा कदम उठाया है। स्वायत्त शासन विभाग (UDH) ने सभी नगर निकायों को सख्त आदेश जारी किए हैं कि अब से आमजन से जुड़ी 13 सेवाओं का निस्तारण केवल ऑनलाइन ही होगा।
👉 अगर कोई अधिकारी इन मामलों में ऑफलाइन फाइल चलाता पाया गया तो न केवल उसका काम शून्य (अवैध) माना जाएगा, बल्कि उसके खिलाफ निलंबन तक की कार्रवाई भी होगी।
सरकार का सख्त अल्टीमेटम
सरकार तक लगातार शिकायतें पहुंच रही थीं कि कई निकाय अधिकारी ऑनलाइन सिस्टम के बावजूद ऑफलाइन काम करके मोटी रकम वसूल रहे हैं। इससे पारदर्शिता प्रभावित हो रही थी।
इसी को देखते हुए UDH विभाग ने अपने आदेश में साफ कहा है—
- ऑफलाइन जारी पट्टे, आदेश या अनुमतियां शुरुआत से ही प्रभावहीन मानी जाएंगी।
- यानी उनकी कोई वैधता नहीं होगी।
- साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और निलंबन भी होगा।
📋 ये 13 सेवाएं अब 100% ऑनलाइन
सरकार ने जिन सेवाओं को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया है, वे हैं:
- नाम हस्तांतरण
- मोबाइल टावर व ऑप्टिक फाइबर केबल की स्वीकृति
- फायर NOC
- सीवर कनेक्शन
- ट्रेड लाइसेंस
- भवन निर्माण स्वीकृति
- साइनेंज लाइसेंस
- 90 A व लेआउट प्लान अनुमोदन
- प्रॉपर्टी ID
- उपविभाजन-पुनर्गठन
- लीज होल्ड / फ्री होल्ड पट्टा जारी करना
- लीज मुक्ति प्रमाण पत्र
- स्ट्रीट वेंडिंग लाइसेंस
इन सभी सेवाओं में अब ऑफलाइन फाइलें स्वीकार नहीं की जाएंगी।
क्यों जरूरी था यह कदम?
दरअसल, ऑनलाइन सिस्टम को लागू करने के पीछे सरकार का मकसद है:
- भ्रष्टाचार पर रोक लगाना
- लोगों को सुविधा देना
- पारदर्शिता बढ़ाना
लेकिन कुछ अधिकारी अभी भी पुराने तरीके से काम करके सिस्टम को कमजोर कर रहे थे।
अब सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर किसी अधिकारी ने ऑनलाइन नियमों का उल्लंघन किया तो सीधे निलंबन की कार्रवाई होगी।

श्रवण कुमार ओड़ जालोर जिले के सक्रिय पत्रकार और सामाजिक विषयों पर लिखने वाले लेखक हैं। वे “जालोर न्यूज़” के माध्यम से जनहित, संस्कृति और स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हैं। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य है—सच दिखाना और समाज की आवाज़ बनना।