सम्राट परीक्षित के काल में कलियुग का हुआ प्रवेश — तिवारी

By Shravan Kumar Oad

Published on:

samrat-parikshit-kal-yug-entry-bhinmal-katha (1)

(रिपोर्टर: माणकमल भंडारी)
स्थान: भीनमाल, राजस्थान

भीनमाल स्थित वाराहश्याम मंदिर प्रांगण के सत्संग भवन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के तीसरे दिन व्यास पीठ से कथा वाचक जितेन्द्र तिवारी (द्वारका) ने कलियुग के प्रवेश की रहस्यमय कथा का वर्णन किया।

उन्होंने बताया कि महाभारत युद्ध के उपरांत जब अश्वत्थामा द्वारा पांडवों के पुत्रों की हत्या और फिर अर्जुन की पुत्रवधू पर ब्रह्मास्त्र के प्रयोग के बावजूद उसका क्रोध शांत नहीं हुआ, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ की रक्षा ब्रह्मास्त्र से की। इसी उत्तरा से जन्मे सम्राट परीक्षित की भेंट कलियुग से हुई

व्यास तिवारी ने स्पष्ट किया कि कलियुग की विनम्र प्रार्थना पर पाँच स्थानों पर उसे निवास की अनुमति दी गई

  1. जुआ खेलने का स्थान,
  2. मदिरा सेवन का स्थान,
  3. परस्त्री गमन,
  4. अधर्म का स्थान,
  5. स्वर्ण (सोना)

स्वर्ण मुकुट के प्रभाववश परीक्षित ने ऋषि शमीक का अपमान किया, जिसके प्रतिफलस्वरूप शाप के अनुसार सप्तम दिन तक्षक नाग ने डस लिया और परीक्षित की मृत्यु हो गई

मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि जटाशंकर त्रिवेदी की पुण्यतिथि पर आयोजित इस भागवत कथा में द्वारका के विद्वान व्यास जितेंद्र तिवारी अपनी दिव्य वाणी व ज्ञानामृत से भक्ति, वैराग्य और ज्ञान मार्ग का महत्व समझा रहे हैं।

शास्त्री प्रवीण त्रिवेदी ने बताया कि शहर के वराहश्याम मंदिर में चल रहे इस कथा आयोजन में संत-महात्माओं व प्रबुद्धजनों की उपस्थिति ने आयोजन को दिव्यता और भव्यता प्रदान की

Leave a Comment