जालोर में संत अभयदास महाराज का चातुर्मास शुरू: कथा पर रोक, भिक्षा बयान और प्रशासनिक सफाई के बीच गरमाया माहौल

By Shravan Kumar Oad

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संत के चातुर्मास ने जालोर को फिर बना दिया केंद्र

श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही जालोर एक बार फिर धार्मिक और सामाजिक चर्चाओं का केंद्र बन गया है। पाली के तखतगढ़ धाम से जुड़े प्रसिद्ध संत और कथावाचक अभयदास महाराज ने 29 जुलाई 2025 को कालका कॉलोनी स्थित बिशनसिंह राजपुरोहित के निवास पर चातुर्मास की विधिवत शुरुआत की। यज्ञ, अनुष्ठान और मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुए इस प्रवास में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, खासकर महिलाएं दर्शन के लिए भारी संख्या में पहुंचीं।

कथा पर प्रशासनिक रोक का आरोप, वीडियो से उठे सवाल

चातुर्मास के साथ ही विवादों की चिंगारी भी भड़क उठी। महाराज ने एक वीडियो बयान में आरोप लगाया कि जालोर प्रशासन उन्हें शहर में कथा की अनुमति नहीं दे रहा। कलेक्टर की ओर से उन्हें यह स्पष्ट कहा गया कि वे जालोर शहर में नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में कथा कर सकते हैं। साथ ही शपथ पत्र की मांग पर भी उन्होंने आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि “शपथ वक्ता से नहीं, आयोजकों से ली जानी चाहिए।”

भिक्षा पर बयान से मचा बवाल

अभयदास महाराज ने भिक्षा को लेकर बयान देते हुए कहा कि वे केवल हिंदू घरों से भिक्षा लेंगे और किसी मुस्लिम परिवार से भिक्षा नहीं लेंगे, क्योंकि “99 प्रतिशत मुस्लिम मांसाहारी होते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जहां मांस और शराब का सेवन होता है, वहां से भी वे भिक्षा स्वीकार नहीं करेंगे, भले ही वह घर हिंदू का ही क्यों न हो।

यह बयान सामने आते ही सामाजिक समरसता पर बहस तेज हो गई और विवाद और भी गहरा गया। संत ने यह भी कहा कि उन्होंने तखतगढ़ में एक विशाल गुरुकुल की स्थापना की है, जहां 500 बच्चों के लिए व्यवस्था है—मुख्यतः मीणा, गरासिया और भील समुदाय के लिए, जिनमें धर्मांतरण की प्रवृत्ति अधिक देखी जा रही है।

भाजपा साधु समिति की जांच शुरू

इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने एक तीन सदस्यीय साधु समिति का गठन किया, जिसमें तिजारा विधायक महंत बालकनाथ, पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी, और पूर्व सांसद सुमेधानंद सरस्वती शामिल हैं। समिति ने मंगलवार को जालोर पहुंचकर विधायक जोगेश्वर गर्ग एवं आयोजन समिति से चर्चा की और भैरूनाथ अखाड़े में संतों से विशेष बैठक की।

समरसता की मिसाल: महामंडलेश्वर ईश्वरीनंद गिरी ने लिया मुस्लिम घर से भिक्षा

जहां एक ओर विवाद अपने चरम पर था, वहीं दूसरी ओर महामंडलेश्वर ईश्वरीनंद गिरी ने जमीनी समरसता का उदाहरण पेश करते हुए मुस्लिम नागरिक रूस्तम खान के घर से भिक्षा ग्रहण की। उन्होंने अन्य चार घरों से भी भिक्षा ली और सामाजिक एकता का संदेश दिया।

प्रशासन की सफाई: “अनुमति हमने नहीं रोकी”

लगातार बढ़ते विवाद के बीच जालोर एडीएम राजेश मेवाड़ा ने प्रेसवार्ता कर प्रशासन का पक्ष सामने रखा। उन्होंने बताया कि पहले भगतसिंह स्टेडियम में कथा के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन समिति ने खुद आवेदन वापस ले लिए। बाद में दो बार और आवेदन आए लेकिन वे भी वापस ले लिए गए। इसका कारण संभवतः संत के विवादित बयानों से जुड़ा हो सकता है।

हाल ही में सुरेश नोरवा की ओर से लेटार में कथा की अनुमति के लिए आवेदन दिया गया है, जिस पर गृह विभाग की गाइडलाइन के अनुसार जांच करवाई जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासन हमेशा अनुमति देने को तैयार रहा है, लेकिन आयोजनकर्ताओं की तरफ से सहयोग नहीं मिला।

विवादों के बीच उमड़ा जनसैलाब, पटाखों से हुआ स्वागत

हालात चाहे जैसे भी हों, अभयदास महाराज के अनुयायियों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई। मंगलवार शाम कालका कॉलोनी में संत के पहुंचने पर लोगों ने पटाखे फोड़े और पूरे इलाके में उत्सव का माहौल बन गया। चातुर्मास विधिवत रूप से शुरू हो चुका है, और श्रद्धालुओं की आवाजाही लगातार बनी हुई है।

निष्कर्ष: धर्म, राजनीति और प्रशासन के बीच फंसा एक चातुर्मास

जालोर में शुरू हुआ यह चातुर्मास सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि अब यह राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का केंद्र बन चुका है। प्रशासनिक निर्णयों, धार्मिक बयानबाजी और सामाजिक समरसता—इन तीनों के टकराव से उपजा यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में और किस दिशा में जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा। भाजपा साधु समिति की रिपोर्ट और प्रशासन की आगे की कार्रवाई से स्थिति स्पष्ट हो सकती है।

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