श्रावण मास के पहले सोमवार को सांचेश्वर महादेव मंदिर, आकोली में उमड़ा श्रद्धा का सागर

By Shravan Kumar Oad

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Sawan Monday 2025 crowd at Sancheshwar Mahadev Temple Akoli, devotees worship Shiva in traditional style.

आकोली (जालोर), 15 जुलाई 2025।
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को आकोली गांव स्थित सांचेश्वर महादेव मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई जो देर शाम तक लगातार बनी रही।

भक्तों ने किया भोलेनाथ का पूजन, गूंजे हर-हर महादेव के जयकारे

मीडिया प्रतिनिधि पूरणसिंह काबावत ने जानकारी दी कि मंदिर में श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर पहुंचे। महिलाएं, क्षत्राणियां, युवक-युवतियां और बुजुर्ग, सभी ने धूप, अगरबत्ती और प्रसादी चढ़ाकर भोलेनाथ का अभिषेक किया और अपने सुख-समृद्धि व मंगल कामनाओं के लिए शिवजी की आराधना की।

आसपास के गांवों से भी पहुंचे श्रद्धालु, मौसम ने बढ़ाया उत्सव का उत्साह

आकोली के अलावा आसपास के गांवों से भी भारी संख्या में भक्त सांचेश्वर महादेव के दर्शन हेतु पहुंचे। इस दौरान इन्द्रदेव की कृपा से मौसम सुहावना रहा, जिसने भक्तों के उत्साह को और बढ़ा दिया।

100 वर्षों पुराना है सांचेश्वर महादेव मंदिर: जानिए इसके चमत्कारी इतिहास को

पूरणसिंह काबावत ने बताया कि यह मंदिर लगभग 100 साल पुराना है। पहले यह एक छोटा मंदिर था। जब गांववालों ने इसे भव्य रूप देने की योजना बनाई, तब आर्थिक संसाधनों की कमी आड़े आई। गांव के सेठ-साहूकार जैन समुदाय से मदद मांगी गई, पर एक सेठ ने मना करते हुए कहा कि “मंदिर ठीक-ठाक है, नया बनाने की जरूरत नहीं।”

कहते हैं कि उसी रात उस सेठ का सिर उल्टा घूम गया। यह घटना गांव में चमत्कार के रूप में मानी गई और उस सेठ ने अगली ही सुबह मंदिर पहुंचकर नया मंदिर निर्माण करवाने की घोषणा की। इसके बाद वर्तमान में जो मंदिर बना, वही आज आस्था का केंद्र बना हुआ है।

दिनभर गूंजते रहे शिव भजन: फुंसाराम लुहार मंडली ने बांधा समां

मंदिर परिसर में लोक कलाकार फुंसाराम लुहार एवं मंडली ने दिनभर शिव भजनों की प्रस्तुति दी। “भोले बाबा पार कर देंगे” जैसे भजनों पर श्रद्धालु झूमते नजर आए। भक्तों ने भजनों के माध्यम से भक्ति का आनंद लिया और शिवमय माहौल बना रहा।

निष्कर्ष

सांचेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और चमत्कार का संगम है। श्रावण मास के इस पावन अवसर पर यहां उमड़ी भक्तों की भीड़ यह प्रमाण है कि आज भी शिवभक्ति लोगों के दिलों में बसे हुए है।

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