श्रावण मास की भक्ति छाया में—जालोर में चातुर्मास महोत्सव की तैयारियां जोरों पर

By Shravan Kumar Oad

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सनातन संस्कृति की जीवंत परंपरा को आगे बढ़ाते हुए जालोर में इस वर्ष श्रावण मास के पावन अवसर पर “समरसता चातुर्मास महोत्सव” बड़े ही भव्य रूप में आयोजित होने जा रहा है। इस आयोजन का केंद्र रहेंगे युवाचार्य स्वामी अभयदास महाराज, जिनके सान्निध्य में यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन 11 जुलाई से 8 अगस्त 2025 तक संपन्न होगा। आयोजन को लेकर जिले के सनातन धर्म प्रेमियों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। इसी क्रम में जालोर के सर्किट हाउस व गुरुकुल में धर्म प्रेमियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई और आयोजन से जुड़े दायित्वों का वितरण भी किया गया।

कार्यक्रम में दायित्व वितरण

बैठक में कार्यक्रम संचालन एवं आयोजन को सुचारू रूप देने हेतु विभिन्न पदों पर दायित्व सौंपे गए।

  • अध्यक्षमुख्य सचेतक व विधायक जोगेश्वर गर्ग
  • सचिवकानाराम मेघवाल एवं पुखराज राजपुरोहित
  • उपाध्यक्षभवानी सिंह धाँधिया
  • कोषाध्यक्षनंदकिशोर जेठलिया
  • मीडिया प्रभारीएडवोकेट सुरेश सोलंकी

कथा एवं आयोजन का कार्यक्रम

चातुर्मास कार्यक्रम 11 जुलाई से 8 अगस्त 2025 तक आयोजित होगा।

  • कथा का समय: दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
  • कथा स्थल: भगत सिंह स्टेडियम के सामने सेवा भारती कार्यालय परिसर

स्वामी अभयदास महाराज 11 जुलाई को जालोर पधारेंगे, जिसके पश्चात विभिन्न धार्मिक कथाओं का भव्य आयोजन होगा—

  • 12 जुलाई – 18 जुलाई: श्रीमद् भागवत कथा
  • 19 जुलाई – 23 जुलाई: नानी बाई का मायरा
  • 24 जुलाई – 1 अगस्त: मीराबाई चरित्र कथा
  • 2 अगस्त – 7 अगस्त: श्री बाबा रामदेव लीला अमृत कथा
  • 8 अगस्त: आशीर्वाद एवं सम्मान समारोह

कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु सभी धर्मप्रेमियों को अलग-अलग कार्यों की जिम्मेदारियां भी सौंपी गईं।

बैठक की अध्यक्षता जालोर के मुख्य सचेतक और विधायक जोगेश्वर गर्ग ने की, जो स्वयं भी सनातन धर्म की परंपराओं और आयोजनों के प्रबल समर्थक माने जाते हैं। युवाचार्य स्वामी अभयदास महाराज की उपस्थिति ने बैठक को एक आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान की। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि समाज में समरसता, सेवा और संस्कार के भाव को भी मजबूत करेगा। खास बात यह है कि चातुर्मास की प्रत्येक कथा किसी न किसी महान संत, महापुरुष या देवी-देवता के चरित्र से प्रेरित होगी, जिससे हर आयु वर्ग के श्रद्धालु कुछ न कुछ नया सीख सकेंगे।

इस आयोजन की सफलता के लिए जिम्मेदारियों का स्पष्ट रूप से वितरण किया गया है। विधायक जोगेश्वर गर्ग को कार्यक्रम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि सचिव पद की जिम्मेदारी कानाराम मेघवाल और पुखराज राजपुरोहित को दी गई है। उपाध्यक्ष भवानी सिंह धांधिया होंगे और कोषाध्यक्ष का दायित्व नंदकिशोर जेठलिया को सौंपा गया है। मीडिया प्रभारी के रूप में एडवोकेट सुरेश सोलंकी को नामित किया गया है, जो आयोजन की जानकारी जनसामान्य तक पहुंचाने का कार्य करेंगे।

कार्यक्रम की शुरुआत 11 जुलाई को स्वामी अभयदास महाराज के जालोर आगमन से होगी। 12 जुलाई से 18 जुलाई तक श्रीमद् भागवत कथा होगी, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, लीलाओं और गीता ज्ञान पर विस्तृत चर्चा होगी। इसके पश्चात 19 से 23 जुलाई तक नानी बाई का मायरा, 24 जुलाई से 1 अगस्त तक मीराबाई चरित्र कथा और अंत में 2 अगस्त से 7 अगस्त तक बाबा रामदेव लीला अमृत कथा का आयोजन होगा। 8 अगस्त को आशीर्वाद एवं सम्मान समारोह के साथ चातुर्मास महोत्सव का समापन होगा।

कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक निर्धारित किया गया है, जबकि आयोजन स्थल भगत सिंह स्टेडियम के सामने स्थित सेवा भारती कार्यालय रहेगा। इस आयोजन को केवल धार्मिक उत्सव के रूप में नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जन-जागरण के रूप में देखा जा रहा है। यह आयोजन आने वाली पीढ़ी को हमारी समृद्ध परंपराओं से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन सकता है।

बैठक में बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी उपस्थित रहे, जिनमें हनुमानराम घांची, मदनलाल सोलंकी, गोपालसिंह राजपुरोहित, रवि सोलंकी, गजेंद्रसिंह सिसोदिया, उत्तमचंद गर्ग, गणपतसिंह बगेड़िया, गोकुलराम मेघवाल, सुरेश सुंदेशा, दिनेश महावर, मोहन चिवड़ा, मनोहर राणा, भागीरथ गर्ग, दिनेश बारोट, मेथी देवी, उर्मिला दर्जी, अंजना सोलंकी, राजकुमार चौहान, भावेश सोलंकी, प्रवीण खंडेलवाल, सुरेंद्र नाग, महेश भट्ट, हेमेंद्र सिंह बगेड़िया और महेंद्र राठौड़ प्रमुख रूप से शामिल रहे।

जालोर जैसे ऐतिहासिक नगर में इस प्रकार का आयोजन सामाजिक एकता और आध्यात्मिक उन्नयन का प्रतीक है। चातुर्मास महोत्सव न केवल भक्ति की भावना को जागृत करेगा, बल्कि सामाजिक सेवा, नैतिकता और संस्कारों की पुनर्स्थापना में भी सहायक सिद्ध होगा। यह आयोजन निश्चित रूप से जालोर को एक नए धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की ओर अग्रसर करेगा।

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